Twin Tower: नोएडा के सेक्टर 93 में स्थित सुपरटेक ट्विन टावर ध्वस्स हो गया है. इसे गिराने में 3700 किलो विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया है सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कई दिनों की मेहनत के बाद ये पूरा सिस्टम तैयार किया गया था टावर के गिरते ही धूल का गुबार आस पास के इलाके में फैल गया है. धमाके के कुछ ही सेंकड में 32 मंजिला इमारत मिट्टी में तब्दील हो गई. यह ब्लास्ट रिमोट से किया गया सुपरटेक ट्विन टावर को ध्वस्त करने के लिए 3700 किलो विस्फोटक को रिमोट से ब्लास्ट किया गया. इसे गिराने के लिए कंट्रोल रूम से अधिकारियों की देखरेख में विस्फोट के लिए बटन दबाया गया. ट्विन टावर के आसपास का पूरा इलाका पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया गया है. 800 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को नोएडा सेक्टर 93 में तैनात कर दिया गया है. पुलिस प्रशासन ने पहले ही पूरे इलाके में एडवाइजरी जारी कर दी थी और आसपास की सोसाइटी को खाली करा लिया था. आसमान में छाया धूल का गुबार अब आसपास के इलाके में फैल रहा है. इसके मध्यनजर कई रास्तों को ट्रैफिक विभाग ने पहले ही बंद कर दिया था. वहीं कई रास्तों को डायवर्ट कर दिया गया थ
10 साल की लड़ाई के बाद मिली जीत का आनंद ही कुछ और: याचिकाकर्ता
ट्विन टावर्स के विध्वंस पर RWA अध्यक्ष और याचिकाकर्ता यू.बी.एस. तेवतिया ने कहा कि 10 साल तक की लम्बी लड़ाई के बाद अगर जीत मिलती है तो उसका कितना यजा ही अलग आता है वो हर आदमी जानता है।कि हमने 2012 में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। विध्वंस के लाभ हमें तीन महीने में दिखाई देंगे।
ब्लास्टर चेतन दत्ता का कहना है कि हम ट्विन टावर से लगभग 50-70 मीटर दूर उपस्थित होंगे। वहीं से बटन दबाया जाएगा। इसमें हमें कोई खतरा नहीं होगा और हमें पूरा यकीन है कि टावर एकदम सही तरीके से ढह जाएंगे। यह एक बेहद सरल प्रक्रिया है। हम डायनेमो से करंट उत्पन्न करेगें और फिर बटन दबायेगे , जो 9 सेकंड के भीतर ही सभी शॉक ट्यूबों में डेटोनेटर को जला देगा और बिल्डिंग जमींदोज हो जाएगी। उन्होंने बताया कि लगभग 100 मीटर ऊंची इमारत को गिराने में लगे भारतीय और विदेशी ब्लास्टर की एक टीम को छोड़कर टावर के चारों ओर 500 मीटर के दायरे में किसी के भी व्यक्ति को आने की अनुमति नहीं होगी।
ट्विन टावर के ध्वस्तीकरण के बाद धूल के गुबार से निपटना प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी। इसमें स्मॉग गन, स्प्रिंक्लर और दमकल की गाड़ियों के साथ हवा की भूमिका भी बहुत अहम होती है। अगर उस समय हवा चलती है तो धूल का गुबार जल्द खत्म हो जाएगा।