इस साल मुस्लिम वूमेन राइट्स डे 1 अगस्त को मनाया जाएगा। लेकिन आखिरकार क्यों हर साल मुस्लिम वूमेन राइट डे मनाया जाता है और इसकी शुरुआत कैसे हुई थी इसके बारे में आपको बताने वाले हैं। पिछले साल अगस्त के महीने में ऐतिहासिक तीन तलाक पास किया गया था।
इस दिन काफी सारे कैबिनेट मंत्रियों ने एक साथ मिलकर इस बात की प्रशंसा की थी। हमारे देश में तीन तलाक को एक जुर्म की तरह माना जाता है। लेकिन पिछले साल 1 लंबी बहस के बाद इस कानून को हमेशा के लिए बंद करवा दिया गया।
लेकिन मीटिंग के दौरान भी विपक्ष पार्टी ने मुस्लिम समुदाय पर एक हमला होने जैसे का आरोप लगाया गया था। लेकिन केंद्रीय सरकार ने तीन तलाक जैसे रिवाज को मुस्लिम महिलाओं के लिए एक सजा की तरह बताया था। केंद्र सरकार ने कहा कि इस प्रकार के कानून महिला संगठन में नहीं होने चाहिए।
काफी सारे मंत्रियों ने ट्विटर के माध्यम से इस कदम को ऐतिहासिक और काल जई बताया था। हमारे देश में कई सालों से तीन तलाक का रिवाज चलता आ रहा है। मुसलमान महिलाओं को समाज में अध्ययन करने के लिए और बराबरी का हक देने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
इस सख्त कानून से मुसलमान महिलाओं को आजाद कराने के लिए 1 अगस्त को मुस्लिम वूमेन राइट्स डे मनाया जाता है। तीन तलाक कानून के 1 साल पूरा होने पर मुस्लिम महिलाओं को एक वीडियो कॉन्फ्रेंस द्वारा सम्मानित करते हुए कहां गया कि इस कानून के बाद हमारे देश में तीन तलाक जैसा रिवाज बहुत ही कम हो गया है।
तीन तलाक का मसला नया नहीं है लेकिन कई सालों से इस मसले पर सिर्फ सियासत देखने को मिली है। शाह बानो का मामला हो या फिर देश के किसी और महिला का तलाक के मामले में उन्हें हमेशा ठगा गया है। मजहब की आड़ में मुसलमान महिलाओं के साथ हमेशा जुर्म किया गया है।
हर बार मामले को सिर्फ वोट बैंक के लिए उछाला गया है। इस कानून के तहत कोई भी तीन तलाक जैसा मसला गैरकानूनी माना जाएगा। कोई भी पति अगर अपनी पत्नी को तलाक देता है तो उसको 3 साल की जेल हो जाएगी। इसके अलावा अगर पत्नी चाहे तो अपने पति के खिलाफ केस दर्ज करा सकती है।